मन खाली है
उदास नहीं
मेरे आसपास पसरी है
कॉफी की गंध
इसके सहारे दूर करना चाहती हूं नीरसता
न खोया है कुछ न पाया है
बस एक शांत खामोश शाम है यह
कॉफी की खुश्बू और कोयल की अनवरत
कूहु के अलावा
कुछ भी नहीं पास है
और सबसे अजीब बात
कि किसी चीज की चाह नहीं.....।
आपकी ब्लॉग पोस्ट को आज की ब्लॉग बुलेटिन प्रस्तुति भारत के दो नायाब नगीनों की जयंती का दिन और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। सादर ... अभिनन्दन।।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर
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