लालसा की होलिका में....
प्रह्रलाद की तरह
आज
हर इंसान जल रहा है
माया-मोह-लालसा
की होलिका में...
इन्हें किसी
हिरणकश्यप ने
अपने अंहकार के वशीभूत हो
आग में
जलने को विवश
नहीं किया है....
आज के इंसान को
मुक्ति नहीं
भोग की है कामना
इसलिए तो लोग
अपने हाथों
लालच की होलिका
बनाते हैं
और खुशी-खुशी
जल जाते हैं.....।
बहुत सुन्दर। होली की शुभकामनाएं ।
ReplyDeleteसुन्दर शब्द रचना
ReplyDeleteहोली की शुभकामनाएं
http://savanxxx.blogspot.in
आज के युग पर आधारित कविता है ,सुंदर ।
ReplyDeletehume kuch मार्गदर्शक कीजिए,,,,,
Deleteदेखे आप
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