Sunday, March 12, 2017

लालसा की होलिका में....


प्रह्रलाद की तरह
आज
हर इंसान जल रहा है
माया-मोह-लालसा
की होलिका में...
इन्‍हें कि‍सी
हि‍रणकश्‍यप ने
अपने अंहकार के वशीभूत हो
आग में
जलने को वि‍वश
नहीं कि‍या है....
आज के इंसान को
मुक्‍ति‍ नहीं
भोग की 
है कामना 
इसलि‍ए तो लोग
अपने हाथों
लालच की होलि‍का
बनाते हैं
और खुशी-खुशी
जल जाते हैं.....। 

4 comments:

  1. बहुत सुन्दर। होली की शुभकामनाएं ।

    ReplyDelete
  2. सुन्दर शब्द रचना
    होली की शुभकामनाएं
    http://savanxxx.blogspot.in

    ReplyDelete
  3. आज के युग पर आधारित कविता है ,सुंदर ।

    ReplyDelete
    Replies
    1. hume kuch मार्गदर्शक कीजिए,,,,,
      देखे आप
      नर्मदा नदी के साथ अन्य नदियों को प्रदुषण मुक्त बनाने हेतु जागरूक कर रहै है हम लोगो

      savenarmadasavelife.blogspot.com

      Delete

अगर आपने अपनी ओर से प्रतिक्रिया पब्लिश कर दी है तो थोड़ा इंतज़ार करें। आपकी प्रतिक्रिया इस ब्लॉग पर ज़रूर देखने को मिलेगी।