गणतंत्र की यह पावन बेला
भारत वसुधा पर छा गई
सहचर आज़ादी के बढ़े चलो
मंज़िलें सब करीब आ गई
नवल उमंग नवल उल्लास
स्वराज्य का भान करा गई
इस बगिया की हर शाख़ पर
ऋतुराज की मस्ती छा गई
लजीली सूरज की लाली
रश्मि रूप में मुस्कुरा गई
उषा काल की नव्य किरणे
नव धवल रूप बरसा गई
हरित केसर श्वेत रंग से
हिमगिरि ध्वज पहरा गई
देश में खुशियां जो बरसी
माँ भारती भी हरसा गई
फ़ोटो ...गूगल
4 comments:
सुन्दर रचना. गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएँ
माँ भारती के सानिध्य सुन्दर रचना ...
गणतंत्र दिवस की बधाई ...
Dhnyawad
Dhnyawad
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