Tuesday, November 29, 2016

एक सड़क ख्‍वाहि‍शों की....


न रोज़ मि‍लो हमसे
न बांटों हर ग़म व खुशी
है गुजारि‍श इतनी
जब तक रहो, पूरे रहो
जब जाओ, ग़म न हो यूं चले जाने का.....

1 comment:

दिगम्बर नासवा said...


dil ko pakka rkhna ... sab aasaan ho jata hai ...