Thursday, November 10, 2016

'री आलि‍....

''री आलि‍....देख ये हरि‍याली
पक चलीं सारे धान की बाली''



धनकटनी करती महि‍लाएं 

4 comments:

सु-मन (Suman Kapoor) said...

बहुत सुंदर चित्र भी शब्द भी

प्रतिभा सक्सेना said...

कितना उल्लासमय प्रकृति परिवेश !

Onkar said...

सुन्दर

दिगम्बर नासवा said...

बहुत खूब ... गेहूं पाक गयी है ...