यह एन एच 91 नहीं
छोटा सा कोई गांव हैं
लड़कियां हैं कुछ हद तक बेखौफ
मगर
महानगरों के वहशी दरिंदों से
संक्रमित होने लगी है
गांव की आबो-हवा भी
कभी शेर आैर हाथियों से
डरते थे लोग रातों में
मगर अब
पता भी नहीं चलता और
फलाना चाचा, बगल गांव का मामा
या रिश्ते का दादा
अपने पंजे निकाल
घसीट ले जाता है खेत-झाड़ों में
लड़कियोंं
रात-बिरात तो पहले भी
नहीं निकलती थी तुम अकेली
इंसानी खाल वाले जानवरों के डर से
मगर अब
पिता के साए में भी बेखौफ न रहना
जमाना वाकई खराब हो चुका है
और तुम
किसी की बेटी-बहन नहीं, बस मादा हो
भले सीख लेना मार्शल आर्ट,
जेब में मिर्ची पाउडर रखना
नाखून भी अपने बढ़ा लेना
मगर जान लो
कानून अंधी-बहरी है
नपुंसक है प्रशासन, पंगु है सरकार
सींखचों में गर
बंद हो भी जाए कोई दरिंदा
तो भी छूट कर करेगा नया शिकार
अब तमंचे के बिना
काम नहीं चलने वाला
कर देना एक बार में काम तमाम
मरोगी तब भी घुट-घुट कर
शरीर और आत्मा पर हुए
बलात्कार के बाद
नहीं मिलेगा उन हैवानों को उनके किए का
भरपूर दंड , न फांसी न अंग-भंग
डरो मत, लैस रहो हिम्मत और हथियारों से
अपनी सुरक्षा के लिए
मत मुंह देखो किसी और का
अपने दर्द का मुआवजा न लेना कभी
दो दंड, उनके कुकृत्यों का
ऐसा दंड की पापियों की आत्मा कांपे
सुरक्षित रहे एन एच 91
अौर मेरा-तुम्हारा हर गांव, हर शहर।
तस्वीर- एक गांव में इस लउ़की को देख बहुत अच्छा लगा सो ले ली थी तस्वीर
Dhanywad aapka
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