रूप का तिलिस्म जब अरूप का सामना करे, तो बेचैनियां बढ़ जाती हैं...
जय मां हाटेशवरी...अनेक रचनाएं पढ़ी...पर आप की रचना पसंद आयी...हम चाहते हैं इसे अधिक से अधिक लोग पढ़ें...इस लिये आप की रचना...दिनांक 05/08/2016 को पांच लिंकों का आनंदपर लिंक की गयी है...इस प्रस्तुति में आप भी सादर आमंत्रित है।
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जय मां हाटेशवरी...
ReplyDeleteअनेक रचनाएं पढ़ी...
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दिनांक 05/08/2016 को
पांच लिंकों का आनंद
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