डायरी के कोरे पन्नों में
बस एक लफ़्ज लिखा गया
'' मैं खुश हूं ''
और अब जबकि बिछड़ रहे हो
हर पन्ने पर
शब्दों का जंगल है
बेतरतीब, बिखरा जैसे सब कहकर भी
कितना कुछ रह गया है
बाकी कहना ....
मिलना
भर देता है इतना
जितने की जगह भी नहीं होती
किसी का जाना
चुक जाना है, रीत जाना है
इतना खाली होना है
कि जग सारा मिल जाए
तो भी
नहीं भर पाता उसके मन को
जिसका
मीत बिछड़ गया हो......
जितने की जगह भी नहीं होती
किसी का जाना
चुक जाना है, रीत जाना है
इतना खाली होना है
कि जग सारा मिल जाए
तो भी
नहीं भर पाता उसके मन को
जिसका
मीत बिछड़ गया हो......
तस्वीर.....एक शाम जब आंखों में उदासी उतरी थी, सूरज भी जाते वक्त उदास दिखा बहुत...
3 comments:
बहुत सुन्दर
बहुत सुन्दर
धन्यवाद
Post a Comment