एक सड़क
जो जाती है वहां तक
जहां चूमते हैं बादल जमीं को
आओ
एक बार मैं तुम्हें वहां तक ले चलूं
जहां नीले पहाड़ हैं
और उसके पीछे बादलों का गांव
वक्त बीतने दो
मेरा बसेरा उसी गांव में होगा
कभी आना चाहो
तो राह की हरियाली से पूछना
उसे पता होता है
काले बादलों के घर का पता
जहां बूंदे
दोनों बाहों में समेटे पहाड़ खड़ा होता है
हर प्रेमिल हृदय में बरस जाने को
जो जाती है वहां तक
जहां चूमते हैं बादल जमीं को
आओ
एक बार मैं तुम्हें वहां तक ले चलूं
जहां नीले पहाड़ हैं
और उसके पीछे बादलों का गांव
वक्त बीतने दो
मेरा बसेरा उसी गांव में होगा
कभी आना चाहो
तो राह की हरियाली से पूछना
उसे पता होता है
काले बादलों के घर का पता
जहां बूंदे
दोनों बाहों में समेटे पहाड़ खड़ा होता है
हर प्रेमिल हृदय में बरस जाने को
आओ
एक बार मैं तुम्हें वहां तक ले चलूं
जिस गांव में
घनेरे काले बादलों का डेरा है........
एक बार मैं तुम्हें वहां तक ले चलूं
जिस गांव में
घनेरे काले बादलों का डेरा है........
दो दिन पहले ली थी रांची-ओरमांझी के बीच ये तस्वीर
1 comment:
बहुत खूब ... प्रेम का बसेरा भी वहीं है ...
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