Thursday, May 19, 2016

नए आगाज को......


उस दि‍न
बेशुमार भीड़ में फंसे हम
ढूंढ रहे थे रास्‍ता
आगे जाने को हो रहे थे बेताब
मेरी हथेलि‍यों को
कसा था तुमने
फुसफुसाते हुए कानों में कहा
'बहुत प्‍यार करता हूं तुमसे'
चौंककर देखा था मैंने
जाने कि‍तने कानों ने
सुनी होगी तुम्‍हारी ये फुसफुसाहट

कहा था मैंने एक दि‍न
ये रूह जि‍स दि‍न जि‍स्‍म मेरा
छोड़ जाने लगेगी
मेरा वादा है
तुम्‍हारी आवाज से पल भर को सही
मैं लौट-लौट आऊंगी
जब तुम फुसफुसाआेगे
मेरे करीब ये ही शब्‍द

मुस्‍कराते हुए तुमने
कानों पर लहराते मेरे लट को
फूंक मार पीछे कि‍या था
जरा सा सट आए थे बदन से
और हम तन्‍हा थे जैसे हजारों में
एकांत सुनते रहे
ऊंगलि‍यों का स्‍पंदन

अब जबकि‍
मैं जाना चाहती हूं तुमसे
सबसे, बहुत दूर
मेरी रूह आजाद होना चाहती है
इन सारी मोह-मायाओं से
पर तुम्‍हारे हाथ है अमाेघ अस्‍त्र
मुझे लाैटा लाते हो बार-बार
तुम अपनी फुसफुसाहट से रोक देते हो
मेरे पांव
जैसे मंजि‍ल तक पहुंच कोई लौट आए
नए आगाज को......


तस्‍वीर- राजस्‍थान में रोहि‍ड़ा के फूल 

2 comments:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (21-05-2016) को "अगर तू है, तो कहाँ है" (चर्चा अंक-2349) पर भी होगी।
--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (21-05-2016) को "अगर तू है, तो कहाँ है" (चर्चा अंक-2349) पर भी होगी।
--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'