Sunday, May 15, 2016

आदमी इश्‍क में बदजुबां हो जाता है.....



इश्‍क में डूबा आदमी
आता है नजर बेसुध
या करता है बातें सूफ़ि‍याना
रूह से रूह के तार जोड़ता चला जाता है
जब
कोई कि‍सी को पाता है
अपनाता है
डूबता चला जाता है
इश्‍क की झील का रंग
पारदर्शी नीला हो जाता है

आदमी इश्‍क में
हमजुबां हो जाता है।

भंवर आता है फि‍र कोई
झील में समुद्र जैसा
कहां होती है झील के पास
समुद्र सी वि‍शालता
कि‍ खुद में नदि‍यों को समो ले
उफना जाती है झील
पानी के तल में काई बैठ जाती है
सब धुंधलाने लगता है

आदमी इश्‍क में
बदगुमां हो जाता है ।

दो से एक होने का अालम
जब तक रहता है
हवाएं बासंती रंग भरती है
प्‍यार का मकरंद
दूर-दूर तक फैलता है
आंखों से जिंदगी का रंग छलकता है
इश्‍क
एकाधि‍कार चाहता है
तब वो बौखलाता है
बगैर जि‍या नहीं जाता था जि‍सके
उसे
अपने मन की ऊंचाई से धकेल आता है
जो मदहोश हुआ करता थाा वो
 
आदमी इश्‍क में
बदजुबां हो जाता है।

तस्‍वीर...एक शाम जब ठहरी थी आंखों में

5 comments:

kuldeep thakur said...

जय मां हाटेशवरी...
अनेक रचनाएं पढ़ी...
पर आप की रचना पसंद आयी...
हम चाहते हैं इसे अधिक से अधिक लोग पढ़ें...
इस लिये आप की रचना...
दिनांक 16/05/2016 को
पांच लिंकों का आनंद
पर लिंक की गयी है...
इस प्रस्तुति में आप भी सादर आमंत्रित है।

kuldeep thakur said...

जय मां हाटेशवरी...
अनेक रचनाएं पढ़ी...
पर आप की रचना पसंद आयी...
हम चाहते हैं इसे अधिक से अधिक लोग पढ़ें...
इस लिये आप की रचना...
दिनांक 17/05/2016 को
पांच लिंकों का आनंद
पर लिंक की गयी है...
इस प्रस्तुति में आप भी सादर आमंत्रित है।

रश्मि शर्मा said...

Dhnyawad

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (17-05-2016) को "अबके बरस बरसात न बरसी" (चर्चा अंक-2345) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

दिगम्बर नासवा said...

बाद जुबां होने के बाद भी तो बेसुध ही रहता है इश्क में ...