Sunday, April 10, 2016

सरहुल पर्व की सभी को बधाई.....









सरहुल प्रत्‍येक वर्ष मैं धूमधाम से मनाते देखती हूं। सरना धर्मावलम्बी बड़े उत्साह और जोश के साथ सरहुल पर्व मनाते हैं। मैं भी सड़क कि‍नारे खड़े होकर सबको नाचते-गाते गुजरते हुए देखा करती थी।
सरहुल दिना आबे गुईयाँ......इस बार इस पुकार को मैं अनसुनी नहीं कर सकी। हर बार रोड़ कि‍नारे से झांकी और जुलूस नि‍कलता देखती थी। इस बार हि‍स्‍सा बन गई इसका।

साथ साथ्‍ गई सरनास्‍थली तक। लाल पाड़ की सफेद साड़ी पहने ...नाचती गाती औरतें, मर्द और लड़के लड़कि‍यां..पूरे अनुशासन के साथ।कहीं रस्‍सी का घेरा बना उसके अंदर सभी लड़कि‍यां नाच रही थी, पूरे जोश से तो कही अखड़ा के सारे मर्द मि‍लकर हाथों का घेरा बना लड़कि‍यों को अंदर सुरक्षा दे रहे थे।
बस कुछ आकर्षक..मनमोहक...झुमाने वाला।
सारे अखड़ा वाले सरना स्‍थल तक जाते। महि‍लाएं पीपल के पेड़ की परि‍क्रमा करती। पहान फूलखोंसी करते और महि‍ला अबीर लगाती...वहां आने वाले हर कि‍सी को....
वाकई लाजवाब अनुभव...
एक बार फि‍र से सरहुल की बधाई सभी को....

1 comment:

SARANSH said...

Apko bhi sarhul ki dhero badhayiyan aur shubhkamnayein.