Thursday, April 14, 2016

यूं न खींचा करो........

'एक उदासी है जो साथ रहा करती है
तुम यादों की डोर यूं न खींचा करो ''




'कि‍सके लि‍ए झड़ते हैं इन आंखों से आंसू
फूल शैफ़ाली के नहीं कि‍ हर सुबह गि‍र पड़े'







2 comments:

Onkar said...

बहुत खूब

रौशन जसवाल विक्षिप्त said...

शानदार है
आप मेरे ब्‍लॉग तक आई आभार मैं प्रोत्‍साहित हुआ