Tuesday, December 22, 2015

देखना इन उदास आंखों की तरफ......



कभी देखना, ढलती शाम
सफ़ेद कुहासे में लि‍पटे
मेरे शहर को
फि‍र देखना इन उदास आंखों की तरफ
तब कहना
उदासी भी कई बार
बेहद खूबसूरत होती है....
खाली घर हो या दि‍ल
चीजें तरतीब से रखना
बहुत आसान है, मगर
कि‍सी के दि‍ल में
रहने की गुंजाइश बनाना
उस पर भी लबों पर मुस्‍कान सजाना
तब कहना
दर्द में लि‍पटी मुस्‍कान
बेहद खूबसूरत होती है
कुछ शब्‍द, कुछ वादे
कुछ इरादे
एक वक्‍त के बाद अर्थहीन लगते हैं
जब लफ्जो का साथ नहीं देती जुबां,
शब्‍द-शब्‍द ही मि‍लने लगे
तब कहना
लरज़ती जुबां से टूटे लफ्ज़ों की बारि‍श
जब होती थी
बेहद खूबसूरत होती है।
तस्‍वीर..धुंध में लि‍पटा हि‍मालय

4 comments:

Vivahsanyog said...

nice poem..I love it.thanks for sharing.-
marriage

डॉ. दिलबागसिंह विर्क said...

आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 24-12-2015 को चर्चा मंच पर चर्चा - 2200 में दिया जाएगा
धन्यवाद

Sadhana Vaid said...

बहुत सुन्दर रश्मि जी ! दिल को छूती सी कोमल रचना !

रश्मि शर्मा said...

Bahut bahut dhnyawad aur aabhar aapka.