हम पहुँचाए गए पहले अब वो भी आते हैं।
तेरह दुनी 26, ये नवम्बर के नाते हैं ।
हमें नफरतों ने मारा तुम्हें वहशतों ने भूना
ये जंगे सियासत है, इसे सब झुठलाते हैं ।
पेरिस के शहीदों की रूह को चैन मिले
बेबस सी दुआओं के हम फूल चढ़ाते हैं ।।
तेरह दुनी 26, ये नवम्बर के नाते हैं ।
हमें नफरतों ने मारा तुम्हें वहशतों ने भूना
ये जंगे सियासत है, इसे सब झुठलाते हैं ।
पेरिस के शहीदों की रूह को चैन मिले
बेबस सी दुआओं के हम फूल चढ़ाते हैं ।।
3 comments:
जय मां हाटेशवरी....
आप ने लिखा...
कुठ लोगों ने ही पढ़ा...
हमारा प्रयास है कि इसे सभी पढ़े...
इस लिये आप की ये खूबसूरत रचना....
दिनांक 016/11/2015 को रचना के महत्वपूर्ण अंश के साथ....
चर्चा मंच[कुलदीप ठाकुर द्वारा प्रस्तुत चर्चा] पर... लिंक की जा रही है...
इस चर्चा में आप भी सादर आमंत्रित हैं...
टिप्पणियों के माध्यम से आप के सुझावों का स्वागत है....
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ...
कुलदीप ठाकुर...
सुन्दर रचना ......
मेरे ब्लॉग पर आपके आगमन की प्रतीक्षा है |
http://hindikavitamanch.blogspot.in/
http://kahaniyadilse.blogspot.in/
सुन्दर रचना ......
मेरे ब्लॉग पर आपके आगमन की प्रतीक्षा है |
http://hindikavitamanch.blogspot.in/
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