शाम....
पंछियों की वो ही उड़ान है
मनमोहक चहचहाहट
दूर छत की मुंडेर पर बैठी
दो सखियां मशगूल हैं
अपनी ही अंतहीन बातों में
सूरज धीरे-धीरे उतरने लगा
रात गहराने लगी
पंछियों की वो ही उड़ान है
मनमोहक चहचहाहट
दूर छत की मुंडेर पर बैठी
दो सखियां मशगूल हैं
अपनी ही अंतहीन बातों में
सूरज धीरे-धीरे उतरने लगा
रात गहराने लगी
एक अकेली लड़की
खुद को समेटकर बैठी है
किसी की आवाज की दुनियां में
खोई हुई मोहित सी
मुस्काती बार-बार
किसी की आवाज की दुनियां में
खोई हुई मोहित सी
मुस्काती बार-बार
शाम...मंदिर की घंटियाें से
छनकर आता आरती का स्वर
अगर की सुगंधित खुश्बू
कहीं कोयले के चूल्हे से
निकला गाढ़ा धुआं
ऊपर बढ़कर विलीन हो रहा
आसमान में
छनकर आता आरती का स्वर
अगर की सुगंधित खुश्बू
कहीं कोयले के चूल्हे से
निकला गाढ़ा धुआं
ऊपर बढ़कर विलीन हो रहा
आसमान में
दिन भर के काम के बाद
कोई औरत फुरसत पाकर
गीले बाल झटकर कर
सुखा रही है छत पर
आंखें घुमाकर सब ओर तकते
जैसे
सब कुछ नया हो रहा हो आज
कोई औरत फुरसत पाकर
गीले बाल झटकर कर
सुखा रही है छत पर
आंखें घुमाकर सब ओर तकते
जैसे
सब कुछ नया हो रहा हो आज
शाम....धूल-मिट्टी में सने बच्चे
मां की डांट के डर से
कूदते-फांदते लौट रहे घर
अंधेरे से घबराती
जवान लड़कियों के पांव
तेजी से बढ़ने लगे अपने घर की ओर
मां की डांट के डर से
कूदते-फांदते लौट रहे घर
अंधेरे से घबराती
जवान लड़कियों के पांव
तेजी से बढ़ने लगे अपने घर की ओर
दिन-रात तो वही हैं
हम बदल जाते हैं अंदर से
तो बदल जाती है जिंदगी
हम बदल जाते हैं अंदर से
तो बदल जाती है जिंदगी
शाम
अब भी उतनी ही खूबसूरत है
जैसी पहली बार लगी थी
किसी के संग होने के अहसास से
और ज्यादा सुहानी
किसी सांझ
फिर से छत की मुंडेर पर बैठो तो सही
खूश्बू बता देगी
कब सावन बीता, कब भादो आया।
अब भी उतनी ही खूबसूरत है
जैसी पहली बार लगी थी
किसी के संग होने के अहसास से
और ज्यादा सुहानी
किसी सांझ
फिर से छत की मुंडेर पर बैठो तो सही
खूश्बू बता देगी
कब सावन बीता, कब भादो आया।
1 comment:
सुंदर रचना। बधाई।
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