कच्चे धानी खेत सा आसमान
बदलियों से घुमड़े कुछ अरमान
इस रात में मैं तो मोती बिजूँगी
कल जब पावस की बूंदें बरसेंगी
मैं हरसाए हरियल अंकुर सीचूंगी !!
इस कजली तीज सिणजारे पर
प्यारे अपने बाबुल के द्वारे पर
मैं गणगौर सी लाडेसर बन कर
बचपन के संगी नीम डाल पर
लाल रेशमी डोर का झूला झूलूँगी
मैं हरसाए हरियल अंकुर सीचूंगी !!
हाथ पिया लिखूँ अब मेहँदी से
पग रचा लाल महावर जल्दी से
मुझे भैया लेने आये घमंडी से
रसपगे घेवर की सौगात लिए
इस बरस इनका ब्याह रचा दूंगी
मैं हरसाए हरियल अंकुर सीचूंगी !!
ओ पिया इक लहरिया लाई दो
उस हरियल पंछी सी उड़ाई दो
रुत पावस भरी इक अंगनाई दो
अधरों पर मैं गीत मल्हार लिए
मैं बूंदों की सरगम पर नाचूंगी
मैं हरसाए हरियल अंकुर सीचूंगी !!
my photography
3 comments:
बहुत सुंदर
बहुरत सुन्दर मस्ती भरा ... मधुर गीत ...
खूबसूरत भाव बढ़िया अंदाज़.
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