बारिश की
पहली बूंद के इंतजार में हूं
जब उठेगी धरा से
सोंधी खुश्बू
घर के सामने वाले तालाब में
बूंदो का नर्तन होगा
मैं हथेलियों में भर लूंगी बूंदे
हवा में लहराते दुपट्टे को
बांध, भीगी घास में
दौड़ पडूंगी, फुहारों संग
काले मेघों को दूंगी न्योता
अब यही बस जाने का
फाड़कर कापियों के पन्ने
बनाऊंगी काग़ज की कश्ती
नीचे वाली बस्ती में
बांस की झुरमुट तले रूक जाऊंगी
वहीं तो आता है
गांव की गलियों का सारा पानी
कश्ती में बूंदो से नन्हें सपने
भर कर बहा दूंगी
मैं तब तक देखती रहूंगी कश्ती को
जब तक बारिश डूबो न दे
या हो न जाए
इन आंखों से ओझल
गरजते बादल की आवाज
सुन रही हूं
बारिश की
पहली बूंद के इंतजार में हूं।
7 comments:
बारिश की
पहली बूंद के इंतजार में हूं
जब उठेगी धरा से
सोंधी खुश्बू
घर के सामने वाले तालाब में
बूंदो का नर्तन होगा
मैं हथेलियों में भर लूंगी बूंदे
हवा में लहराते दुपट्टे को ---------। बहुत ही खूबसूरत रचना रश्मि जी----बधाई।
वाह ! इतना सुंदर स्वागत होगा तो बारिश भी स्वयं को धन्य मानेगी..कोमल भावनाओं से पिरोई सुंदर कविता..
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (13-06-2015) को "जुबां फिसलती है तो बहुत अनर्थ करा देती है" { चर्चा अंक-2005 } पर भी होगी।
--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (13-06-2015) को "जुबां फिसलती है तो बहुत अनर्थ करा देती है" { चर्चा अंक-2005 } पर भी होगी।
--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक
प्यासी झुलसती पृथ्वी और पहले बारीश का इंतजार ,..बहुत सुन्दर ।
खूब भालो - जय हो
वाह, बहुत सुन्दर
Post a Comment