Thursday, May 28, 2015

रेत सा इश्‍क तुम्‍हारा


प्‍यार करते हो
.....हां, बेशुमार, बेइंतहा
मुझ पर है यकीन ?
.....खुद से ज्‍यादा
पता भी है कि‍तना प्‍यार है तुमसे....
चुप पसरी
......तुम समुंदर हाे, बस इतना जानता हूं
मुझे लगा तुम इश्‍क की गहराई है समुंदर सी कहोगे...पर तुम लहरें गि‍नते रहे....लाल सूरज समुंदर में डूब गया.....आकाश पर लहू छि‍तरा है...
कोई नि‍शान नहीं.....रेत सा इश्‍क तुम्‍हारा...तुम पानी से...

तस्‍वीर....कल के बारि‍श की 

8 comments:

Udan Tashtari said...

umda

Udan Tashtari said...

वाह!!

Tamasha-E-Zindagi said...

आपकी इस पोस्ट को शनिवार, ३० मई, २०१५ की बुलेटिन - "सोशल मीडिया आशिक़" में स्थान दिया गया है। कृपया बुलेटिन पर पधार कर अपनी टिप्पणी प्रदान करें। सादर....आभार और धन्यवाद।

Tamasha-E-Zindagi said...

आपकी इस पोस्ट को शनिवार, ३० मई, २०१५ की बुलेटिन - "सोशल मीडिया आशिक़" में स्थान दिया गया है। कृपया बुलेटिन पर पधार कर अपनी टिप्पणी प्रदान करें। सादर....आभार और धन्यवाद।

Mithilesh dubey said...

लाजवाब रचना। अच्छा लगा पढ़कर

http://chlachitra.blogspot.in
http://cricketluverr.blogspot.in

दिगम्बर नासवा said...

निःशब्द करते भाव ..

Onkar said...

बहुत सुन्दर कविता

Madhulika Patel said...

bahut acchi rachna