Tuesday, April 21, 2015

कच्‍चा-कच्‍चा सा मन



कच्‍चा-कच्‍चा सा है
इन दि‍नों मन
ज्‍यों मि‍ट्टी की दीवार
भीग रही हो जैसे
बरसात में 
महीनों लगातार

आएगी
एक रोज, जोर की आंधी
गि‍र जाएगी
भरभराकर दीवार
कच्‍चा मन, कच्‍ची मि‍ट्टी
सह नहीं पाता
दबाव कोई लगातार...

2 comments:

दिगम्बर नासवा said...

सच है दबाव से नीव कंजोर होती जाती है ...
गहरे भाव ...

Onkar said...

बहुत सुन्दर