है ये इम्तहानों के दिन
या कि दिल कोई फैसला चाहता है
ठहर गया है वक्त और
आजकल हमें याद कोई कम आता है
तस्ववुर की जमीं पर भी
ख्याल अब कोई टिक नहीं पाता है
मंजिल की जानिब चलो
बात ये हमेशा कोई हमें समझाता है।
यूं ही मिल गई थी एक दिन यं खूबसूरत तस्वीर
2 comments:
मंजिल की जानिब जितना जल्दी हो चले जाना चाहिए ...
तस्वीर लाजवाब है ...
बहुत सुन्दर पंक्तियाँ
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