Monday, April 27, 2015

याद कोई कम आता है


है ये इम्‍तहानों के दि‍न
या कि‍ दि‍ल कोई फैसला चाहता है
ठहर गया है वक्‍त और
आजकल हमें याद कोई कम आता है
तस्‍ववुर की जमीं पर भी
ख्‍याल अब कोई टि‍क नहीं पाता है
मंजि‍ल की जानि‍ब चलो
बात ये हमेशा कोई हमें समझाता है। 

यूं ही मि‍ल गई थी एक दि‍न यं खूबसूरत तस्‍वीर  

2 comments:

दिगम्बर नासवा said...

मंजिल की जानिब जितना जल्दी हो चले जाना चाहिए ...
तस्वीर लाजवाब है ...

Onkar said...

बहुत सुन्दर पंक्तियाँ