Sunday, February 8, 2015

जन्‍मदि‍न मुबारक



जान बाकी बाकी है मगर सांस रुकी हो जैसे....
आवाज की पनाहों में छुपा लेते....आज होते तुम तो मेरे दर्द को जुबां देते....बहुत याद आती है तन्‍हाई की वो रातें....जब आंसुओं को मीठे सुर से सहलाया करते थे
न थे कोई तुम मेरे.....मेरे बहुत कुछ हुआ करते थे
तेरी याद है......फि‍र वही तन्हाई है.....शब्‍दों का आसरा भी है....मगर तुम नहीं पास...
जगजीत...याद आते हो तुम....बहुत याद आते हो..
कोई फरियाद तेरे दिल में दबी हो जैसे
तूने आँखों से कोई बात कही हो जैसे
जागते जागते एक उम्र कटी हो जैसे
जान बाकी बाकी है मगर सांस रुकी हो जैसे....
' जन्‍मदि‍न मुबारक '

3 comments:

Unknown said...

जन्मदिन मुबारक !
गोस्वामी तुलसीदास

Ankur Jain said...

भावभीनी श्रद्धांजलि..जगजीत सिंह जैसे फ़नकार कभी नहीं मरते।

KUMMAR GAURAV AJIITENDU said...

श्रद्धांजलि......

shabdsugandh.blogspot.com