Monday, December 22, 2014

सबसे छोटा दि‍न और लंबी रात



अाज की रात
मैं लि‍ख सकती हूं
कुछ उदास पंक्‍ति‍यां
दर्द भरी याद के
छुपे कतरे
और जो कभी ले नहीं पाई
उन प्रति‍शोधों का ब्‍योरा
क्‍योंकि‍
आज इस साल का
सबसे सर्द दि‍न था
और है सबसे लंबी रात

पोखर के पानी में
देर शाम
टि‍मटि‍माते तारों ने
डूबकी लगाई है
झींगुरों की बंद है आवाज
और चांद है बेदखल
आकाश से
बेहद खुश्‍क दि‍न
और रात है
मृत्‍यु सी सर्द
ओस ने सूरज के रहते
शुरू कर दि‍या था झरना
मुंह छुपा चांद कहीं
आज रोया है
तारे कंपकपा रहे हैं
पोखर के कि‍नारे खड़े
नीम ने
अपनी टहनि‍यों में बांध लि‍या
आसमान का नीलापन
रात नाच रही है
कुहासे की ताल पर
साल के सबसे छोटे दि‍न ने
सबसे बड़ी रात को
खामोश, उदास हवाओं की
सौंपी है थाती
मन का दुख आंखों से
गि‍रता है
रात का पंछी बोल रहा है
मुझे प्‍यार है
नींद की परी से
कि‍ आज की सबसे बड़ी रात
धुंध और कोहरा
मौसम की दी गई
है एक हसीन सौगात ।

( यह कवि‍ता वि‍ख्‍यात कवि‍ पाब्‍लो नेरूदा की एक खूबसूरत कवि‍ता से प्रेरि‍त है)

तस्‍वीर- साभार गूगल 

4 comments:

mohan intzaar said...

दिल की व्यथा और लम्बी सर्द रात का भावपूर्ण वर्णन ...बहुत सुन्दर

सु-मन (Suman Kapoor) said...

खूब ..एक सर्द लम्बी रात का हाल-ए-बयाँ

दिगम्बर नासवा said...

लम्बी रात में कितने इतिहास बन जाते हैं ...

कमल said...

बहुत सही