Tuesday, July 22, 2014

कब उतरे इतना....


अावाज मेरी है
शब्‍द तुम्‍हारे
कब उतरे तुम इतना
कि‍ मुझमें बोलने लगे हो

आज की है
बर्फीली हवाओं ने शि‍कायत
इन दि‍नों
उनकी राह भी रोकने लगे हो.......


तस्‍वीर...कौसानी का 

5 comments:

shalini rastogi said...

सुन्दर भाव !

मनोज कुमार said...

नेचुरल!

प्रतिभा सक्सेना said...

बिलकुल नई उद्भावना - सुन्दर !

विभूति" said...

मन के भावो को खुबसूरत शब्द दिए है अपने...

डा श्याम गुप्त said...


---क्या बात है ....
जब मैं था तब हरि नहीं
अब हरि है मैं नाहिं |