काग़ज पर बिखरे
मात्र स्याही नहीं
होते शब्द....
उन शब्दों में होता है
एक पूरा इंसान
और
उसके अर्न्तमन
चेतन-अचेतन का
तमाम ब्योरा
अगर जानती
कि किसी के जाने के बाद
शब्द
खुद को जोड़कर
परिवर्तित कर लेता है
बन जाता है
जीता-जागता इंसान
हंसता है..रूलाता है
तो पहले ही
हर हर्फ़ जोड़
लिख लेती एक किताब
अौर बंद कर लेती
यादों वाले संदूक में
ताकि
जब तुम कभी
मुझे छोड़कर चले जाओ
तो वो शब्द
तुमसा ही मान दे
प्यार करें मुझसे
अनवरत.........
4 comments:
सुन्दर रचना कोमल भाव लिए |
बहुत सुन्दर प्रस्तुति
सादर
बेहतरीन सुन्दर रचना
बेहतरीन सुन्दर रचना
Post a Comment