मैं सोचती हूं
कभी-कभी
अगर आसमान में
बादल हों
और वो
बरसे नहीं तो क्या हो
फूल ही फूल खिले हों
आसपास
और उनमें कोई
खुश्बू नहीं हो
तो क्या हो
सब कुछ जीवन में
हो पास मेरे
और बस एक तुम नहीं हो
तो क्या हो.....
मेरे लिए बरखा, धूप
हवा-पानी
जमीन, आसमान
सब का अस्तित्व है
बस तेरे ही खातिर
तुम्हें पता है
एक तेरा होना
सब होने पर भारी है
मैं और तुम
अब 'हम' हैं
और ये बात सारी
क़ायनात पता है......
तस्वीर....कौसानी का एक खूबसूरत पल जो मेरे कैमरे में कैद हो गया..
5 comments:
मौसम के प्रति मीठी सोच और आकर्षण सराहनीय है !
आपकी इस पोस्ट को ब्लॉग बुलेटिन की आज कि बुलेटिन ब्लॉग बुलेटिन और ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।
Prakruti air Prem la maids sunder milap hai yah
सुन्दर आकर्षक रचना....
सुन्दर
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