“धोरों खिला कास – फूल”- (भाग –III)
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वो सब कुछ है तुममें जो मुझे चाहिए..... शिद़दत वाला प्यार....हर घड़ी मेरी ही तलाश, तुम्हारा खिलंदड़ स्वभाव, हर वक्त मेरे जेहन में रहने की कला, मेरे लिए दिल में आदर भाव.....बेइंतहा प्यार के साथ कद्र, मेरी फिक्र , और उस पर सीधे दिल में उतरने वाली आवाज, जो रूठे दिल को मना ले, जागी आंखों को सुला दे..
क्या कुछ नहीं है तुममें....सब कुछ है वो जो मुझे चाहिए...तुम मेरी डेस्टनी हो, मेरा भाग्य, मेरा प्रारब्ध...तुम्हें अभी ही आना था...मुझे थामने को, संभालने को।
ऐसे वक्त में जब मन एकान्त में रमने लगा था...चीजें दिखकर भी ओझल होने लगी थी निगाहों से और कई बार अपने व्यर्थता का भान होने लगा था.....तुम आए......ऐसे आए जैसे आषाढ़ की बारिश....झमाझम बरस गए।
अकुलाए मन को एक ऐसे ही इंसान की चाहत थी, जो अनकहा समझे...मेरी हंसी, मेरी मुस्कराहट के पीछे छिपे दर्द को महसूस करे...मेरी आंखों में झांककर दिल तक पहुंच जाए।
मेरी कई जन्मों की तलाश हो तुम...मेरी आस हो तुम .....
तस्वीर..साभार गूगल
4 comments:
....तुम आए......ऐसे आए जैसे आषाढ़ की बारिश....झमाझम बरस गए।
वाह ........... अनुपम भाव संयोजन
सुंदर भावो से पूर्ण रचना......
सुंदर भावो से पूर्ण रचना......
बहुत सुन्दर,मौसम इंतजार दोनोको ही गूँथ दिया है,अच्छी भावपूर्ण रचना. बधाई रश्मिजी.
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