Tuesday, March 4, 2014

शाम के हि‍स्‍से उदासी


कल जब
गहराती सांझ को
भागते देखा था
सरपट
मुझसे दूर
तो हैरत हुई थी
सोचा
ये दौड़ रही है
या मैं ठहरी हूं

आज समझ आया
फि‍र एक बार
एक दरार को पाटना है
और वक्‍त
सहमा है इस सोच से
कि
शाम के हि‍स्‍से ही क्‍यों
ये उदासी आती है......



मेरे फार्म हाउस के पास उतरती सांझ की तस्‍वीर...

2 comments:

ब्लॉग बुलेटिन said...


ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन लक्ष्मी के साहस और जज़्बे को नमन - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

कौशल लाल said...

बहुत सुन्दर.....