शाम के हिस्से उदासी
कल जब
गहराती सांझ को
भागते देखा था
सरपट
मुझसे दूर
तो हैरत हुई थी
सोचा
ये दौड़ रही है
या मैं ठहरी हूं
आज समझ आया
फिर एक बार
एक दरार को पाटना है
और वक्त
सहमा है इस सोच से
कि
शाम के हिस्से ही क्यों
ये उदासी आती है......
मेरे फार्म हाउस के पास उतरती सांझ की तस्वीर...
2 comments:
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन लक्ष्मी के साहस और जज़्बे को नमन - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
बहुत सुन्दर.....
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