तुमने कहा....
अब मैं लौट जाता हूं
जो देना था
दे दिया
जो चाहा था तुमसे
इस रिश्ते से
उससे कहीं ज्यादा मिला
खुद से प्यार करने वाले ने
तुम से किया प्यार
और अब तुम्हें भी
आ गया है
खुद को प्यार करना
तो
अब मैं लौट जाता हूं
हो गया, मेरे संग होने का
उद़देश्य पूरा
**********
हां
मैं कहती हूं
अब लौट ही जाओ तुम
जो जीवन में
लक्ष्य लेकर चलते हैं
उन्हें
लौटना ही पड़ता है
वक्त और काम
पूरा होने पर
जो प्यार करते हैं
वो कहीं नहीं जाते
न आगे...न पीछे
प्यार तो बस एक पल है
और उसी को अर्पित
ये जीवन है
**********
इसलिए
जाओ
लौट जाओ तुम
एक नए लक्ष्य की तलाश में
नई खुशियों की आस में
मैं
इस दोपहर की उदास धूप को
याद वाली डिब्बी में
बंद कर दूंगी
और हर वर्ष के
दो अंतिम दिनों में
तुम्हारे प्यार वाले दिनों को जिउंगी
मगर
थमी ही रहूंगी
क्योंकि
मेरा प्यार निरूदेश्य था
मैंने सिर्फ...प्यार ही किया था.....
तस्वीर....एक सहेली ने अपने हाथों बना कर दिया मुझे तोहफा..
6 comments:
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल शनिवार (4-1-2014) "क्यों मौन मानवता" : चर्चा मंच : चर्चा अंक : 1482 पर होगी.
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है.
सादर...!
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल शनिवार (4-1-2014) "क्यों मौन मानवता" : चर्चा मंच : चर्चा अंक : 1482 पर होगी.
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है.
सादर...!
क्योंकि
मेरा प्यार निरूदेश्य था
मैंने सिर्फ...प्यार ही किया था.....
बहुत सुन्दर नि:स्वार्थ प्रेम !
नया वर्ष २०१४ मंगलमय हो |सुख ,शांति ,स्वास्थ्यकर हो |कल्याणकारी हो |
नई पोस्ट विचित्र प्रकृति
नई पोस्ट नया वर्ष !
बहुत सुन्दर भावभिव्यक्ति
बहुत सुन्दर रचना रश्मि !
नये वर्ष की अनंत शुभकामनाये !
सुन्दर रचना
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