जाने दो
उसे जाना ही था
दे दिया उसने
जो भी था उसके अख़्तियार में
थोड़ा सा ग़म...थोड़ी सी खुशी
और
न भूलने वाली यादें
अब गुजरते लम्हों में
बीती यादों को
सीने से लगाएंगे
कुछ कह देंगे...कुछ सुन लेंगे
बाकी और यादों को
पन्नों में छुपा रख लेंगे
आने वाले बरस को बताएंगे
कि क्या पाया हमने
जो खोया
उसे मन के कोने में संभाल लेंगे
आओ न
नए बरस तुम
मेरी झोली में भर दो
फिर से
थोड़ा सा ग़म...थोड़ी सी खुशी
तुम्हारा स्वागत है........
2 comments:
हो जग का कल्याण, पूर्ण हो जन-गण आसा |
हों हर्षित तन-प्राण, वर्ष हो अच्छा-खासा ||
शुभकामनायें आदरणीया
शुभकामनाएँ.
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