कोहरा, उदासी और आधा चांद......होता है ये अक्सर सर्द दिनों में...
जब शाम गहराती है और मैं छत के एक कोने में खड़ी हो ओस का गिरना महसूस करती हूं, तो सच कहूं बहुत याद आती है तुम्हारी....
कोहरे के गिरफ्त में जैसे ये धरती नहीं होती, मैं होती हूं और तुम उस आसमान में जल रहे चांद की तरह लगते हो......बेहद उदास.....आंखों में लालिमा लिए....जब आंसू पीता है कोई तो दर्द उतर आता है .......जैसे समूचे वजूद में.....बिल्कुल वैसे ही लगते होगे तुम....
वो सुहानी शाम याद है तुम्हें..सर्दियों वाली....शाम जब हम बातें कर रहे थे.....सिग्नल ठीक न मिलने के कारण तुम अपनी गाड़ी से उतर गये। यूं ही टहलते हुए दूर निकले......तुमने बताया......देखो उस पहाड़ी पर एक मंदिर है.....
हंसते हुए कहा.....जब भी मैं तुमसे बातें करने के लिए रूकता हूं....आस-पास कोई न कोई मंदिर रहता है......
मैंने कहा...ये तो अच्छी बात है न....ईश्वर भी हमारा मिलन चाहता है.....
बातें करते तुम सीढ़ियां चढ़ रहे थे.....उस वक्त हमदोनों ने एक साथ देखा.......आधा चांद....जलता हुआ सा....रक्तिम......
तुमने बताया मुझे.....मैं हंस पड़ी..कहा.....चलो फिल्मी स्टाइल से हम दोनों एक साथ दीदार करते हैं......तुमने भी ठहाका लगाया.....
तुम बातें करते लगभग सारी सीढ़ियां चढ़ चुके थे.....आदतन जोर-जोर से बोल रहे थे तुम.....अचानक चुप हुए......कहा....पुजारी का ध्यान मेरी बातों पर है.....आज वो भी मेरी तरह प्यार से बोलेगा घर जाकर....
शैतान....मैंने कहा..किसी को नहीं छोड़ते....जाओ.....भगवान का आर्शीवाद लेकर आओ.....दरवाजे तक जाकर यूं ही नहीं लौटते.....
तुम गए...फोन बंद नहीं किया.....मुझसे कहा...सुनो घंटी की आवाज और...प्रणाम करो मेरे साथ.....
पुजारी ने प्रसाद दिया...पूछा तुमसे....शादी नहीं हो रही क्या.....तुम हंस पड़े....कहा..वही तो.....फोन दिखाकर कहा....मान ही नहीं रही....
पुजारी ने कहा....बेटा.... हर सोमवार आना.....उसी लड़की से तुम्हारी शादी होगी.....
बाहर आकर कितना हंसे थे तुम.......मैं भी....और तब वो लालिमा लिए चांद और भी खूबसूरत लगा था हमें....
पर आज....और हर वो शाम मुझे उदास कर जाती है....जब एक जलता हुआ आधा चांद आसमान में होता है और कुहासे के आगोश में लिपटी मैं खुद को मंदिर की सीढ़ियों पर पाती हूं.........
तस्वीर...मेरे कैमरे की
3 comments:
चाँद साथ होता है हमेशा... हमारी उदासी में भी... हमारी खुशियों में भी...
बड़ा स्नेहिल रिश्ता है उससे हमारा!
जब भी मैं तुमसे बातें करने के लिए रूकता हूं....आस-पास कोई न कोई मंदिर रहता है......
मैंने कहा...ये तो अच्छी बात है न....ईश्वर भी हमारा मिलन चाहता है.....
कितना सुन्दर एहसास है .....
अनु
BHAVNATMAK ABHIVYAKTI SUNDAR BHAVON SE SAJI .VERI NICE .
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