इसके पहले कि
निशानियां उम्र की
चस्पां हो जाए
तुम्हारे चेहरे पर
काले बालों के बीच
कुछ सफेद बाल
झांकने लगे अनचाहे ही
जिम्मेदारियों के
बोझ से झुकने लगे
तुम्हारे कंधे, और
तुम्हारी दर्पीली मुस्कान
सिमट जाए, स्मित मुस्कान बन
तुम्हारे ही होंठों में
जब नजर के चश्मे की जरूरत
को नकार
देखने को मुझे
तुम्हें बार-बार
मलनी पडे अपनी आंखें
आओ, खोल दो
अपने हाथ का कलावा
बांध दो मेरी कलाई में
और
एक बार फिर दुहरा दो
अपना वचन
कनपटियों से
झांकती उम्र को
साक्षी रख कह दो
एक बार फिर
कि ये प्यार
चिता की राख तक
यूं ही सुलगता रहेगा
कच्चे कलावे से बंधे
प्यार के बंधन को
न उम्र ढीला करेगी
न वक्त तोड़ पाएगा
स्वीकार लो
कि, हां
तुम्हारे जीवन में आने वाली
मैं पहली तो नहीं
मगर अंतिम प्यार हूं
और अंतिम ही रहूंगी....आजन्म
तस्वीर--साभार गूगल
10 comments:
एक मासूम,प्यारी-सी आकांक्षा को साथ लिए ह्रदय स्पर्शी पोस्ट!
wah !!!!
मित्र! आज 'क्रिसमस-दिवस' पर शुभ कामनाएं,! सब को सेंटा क्लाज सी उदारता दे और ईसा मसीह सी 'प्रेम-शक्ति'!
म्मानोभाव -उदगार के लिये शुभकामना !
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 26-12-2013 को चर्चा मंच की चर्चा - 1473 ( वाह रे हिन्दुस्तानियों ) पर दिया गया है
कृपया पधारें
आभार
behad samwedanseel lagi aapki post
बहुत बढ़िया ,क्रिसमस की बधाई
नई पोस्ट मेरे सपनो के रामराज्य (भाग तीन -अन्तिम भाग)
नई पोस्ट ईशु का जन्म !
ह्रदय स्पर्शी
स्वीकार लो
कि, हां
तुम्हारे जीवन में आने वाली
मैं पहली तो नहीं
मगर अंतिम प्यार हूं
और अंतिम ही रहूंगी....आजन्म
..........दिल को छूती हुई सुन्दर भावपूर्ण रचना.
बहुत सुन्दर. बहुत कोमल
सुन्दर!
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