Wednesday, November 6, 2013

शाम और एक प्‍याली चाय...


हल्‍की ठि‍ठुरन
शाम की गंध
और एक प्‍याली 
चाय की तलब
चलो
आज तुम ही बना लो
एक प्‍याली चाय

मैं तुम्‍हारी
पीठ से सट,आंखें मूंद
महसूस करूंगी
चीनी-पत्‍ती के साथ
प्रेम मि‍लकर
बनते चाय की गंध
कैसी होती है
और
कैसा होता है
ऐसी चाय का स्‍वाद....


तस्‍वीर--साभार गूगल

8 comments:

lori said...

pyari chay.....pyara swaad :)
mai bjaau, chaay pi lu!

रविकर said...

बढ़िया प्रस्तुति-
आभार महोदया-

विभूति" said...

खुबसूरत प्रस्तुती....

dr.mahendrag said...

मैं तुम्‍हारी
पीठ से सट,आंखें मूंद
महसूस करूंगी
चीनी-पत्‍ती के साथ
प्रेम मि‍लकर
बनते चाय की गंध
कैसी होती है
और
कैसा होता है
ऐसी चाय का स्‍वाद....

सुन्दर अहसास ,खूबसूरत कल्पना,मन भी कहाँ कहाँ कि उड़ान भर लेता है

Yashwant R. B. Mathur said...

कल 08/11/2013 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
धन्यवाद!

Unknown said...

बहुत सुंदर रचना |

Bhavana Lalwani said...

simple yet lovely!!!!!

दिगम्बर नासवा said...

चाय और उनकी गंध ...
दिल से दिल का एहसास ...