प्यार यूं होता है
कि इसमें
कोई कभी नहीं रहता अकेला
इसलिए
कभी न थे तुम अकेले
न रहोगे कभी
मेरी रूह
उन पलों में भी साथ होती है
तुम्हारे
जब क्रोध से वशीभूत हो
कर रहे होते हो
मुझसे दूर जाने की कामना
तब मैं, मेरा अर्न्तमन
सूक्ष्म शरीर बन
चला जाता है पास तुम्हारे
और
अदृश्य प्रेम-पराश से बांध
पल भर में
बदल देता है मनोभाव सारे
और तुम
क्रोधाग्नि में लिपटे
जलते इंसान से
मृग-छौने में बदल
मेरी गोद में आ दुबकते हो
तब मेरी रूह
तृप्त हो, समा जाती है तुममें
प्यार यूं होता है
कि चलती सांस तक रहता है
मौजूद, पूरी शिद़दत से
और इसमें
कोई कभी नहीं रहता अकेला
तस्वीर-- मेरे कैमरे की
7 comments:
सुंदर तस्वीर उत्कृष्ट रचना ....!
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नई पोस्ट-: चुनाव आया...
प्यार यूं होता है
कि चलती सांस तक रहता है
मौजूद, पूरी शिद़दत से
और इसमें
कोई कभी नहीं रहता अकेला
So true...!
Nice click!!!
सुन्दर प्रस्तुति आदरेया-
आभार -
प्यार यूं होता है
कि चलती सांस तक रहता है
मौजूद, पूरी शिद़दत से
और इसमें
कोई कभी नहीं रहता अकेला
बहुत सुन्दर,कितना बड़ा सच अच्छी रचना ,
wow..very intense..
बहुत सुन्दर तस्वीर और रचना
प्रेम भाव से परिपूर्ण कविता
यहाँ भी पधारिए
http://iwillrocknow.blogspot.in/
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