Saturday, November 16, 2013

.कहां खो गए हो तुम....




नहीं होता है ऐसा....कभी नहीं हुआ...सदमे में हूं....ये क्‍या हो रहा है...तुम बदल रहे हो....या चीजें...या सब कुछ...

लंबी दूरी पाटी नहीं जाती....लंबा इंतजार बर्दाश्‍त नहीं होता...जो कभी न हुआ हो...कि‍सी भी हाल में..जो वो होने लगे तो मन में हजारों आशंकाएं फन उठाकर खड़ी हो जाती है......
क्‍या इतना फानी सा सब कुछ .....

देखो न......दक्षि‍ण में सरे-शाम उगने वाला वो चमकीला सि‍तारा आज अपनी जगह से खि‍सका हुआ है.......और मेरे देखते ही देखते ओझल हो गया नि‍गाहों से.....

शायद मेरी बेसब्री इतनी ज्‍यादा थी कि उससे बर्दाश्‍त नहीं हुआ.....छुप गया वो....डूब गया वो....मेरा मन भी डूबने लगा है आज.....ठंढी झील की गहराइयों में.....

एक बार फि‍र से तन्‍हा हूं....यादों के साथ...आंसुओं के साथ....और आज है बस पूनम से एक दि‍न पहले की रात.....

जीवन का ये पहला दि‍न है....जब तुम नहीं हो...कहीं भी...मेरे आसपास....
जाने क्‍यों मन कहता है....अकेली हो गई हो तुम....

नील....कहां खो गए हो तुम....

तस्‍वीर--साभार गूगल

5 comments:

kuldeep thakur said...

आप की ये सुंदर रचना आने वाले सौमवार यानी 18/11/2013 को नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही है... आप भी इस हलचल में सादर आमंत्रित है...
सूचनार्थ।



Onkar said...

भावुक कर देनेवाली रचना

महेन्द्र श्रीवास्तव said...

बहुत सुंदर ...

रविकर said...

सुन्दर प्रस्तुति-
आभार -

विभूति" said...

खुबसूरत अभिवयक्ति.....