Friday, November 15, 2013

मैं हतप्रभ हूं........


शाम डूबने लगी है
वक्‍त से पहले
दि‍न का फैला आंचल
अचानक 
समेट देता है कोई
हतप्रभ से हम

तकते हैं क्षि‍ति‍ज
अभी धूप थी
सुहाती हुई
जाने कहां गई
अचानक आती है
सि‍हराती हवा
कहती है
वक्‍त बदल गया है
ठीक उसी तरह
जैसे
मेरा मन डूब गया है
और मैं हतप्रभ हूं........


साभार गूगल

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