Wednesday, October 9, 2013

चांद के लि‍ए पागल .....


एक दि‍न
ऐसा भी आएगा
कि आकाश के
चांद के लि‍ए 
पागल होगी
मून फि‍श और
अपने चांद के लि‍ए मैं

तुम चांदनी के हाथों 
सौप देना एक आईना
सागर के झि‍लमि‍लाते सीने पर
आकाश से उगते एक चेहरे को
देखेगा थमा वक्‍त

वो तब भी उदास ही होगा
क्‍योंकि
गगन हो या सागर
एक टुकड़ा आसमान का
देता है सबूत
जिंदा होने का
और लौटकर आने वाला
फि‍र से लौट जाने के
सारे दरवाजे बंद कर आता है.......

तस्‍वीर--साभार गूगल 

2 comments:

Jyoti khare said...

और लौटकर आने वाला
फि‍र से लौट जाने के
सारे दरवाजे बंद कर आता है......

जीवन का यही सार्थक सच भी है और जीवन दर्शन भी,
बहुत सुंदर रचना
उत्कृष्ट प्रस्तुति

सादर

आग्रह है---
पीड़ाओं का आग्रह---

Unknown said...

सुंदर रचना |

मेरी नई रचना :- मेरी चाहत