Saturday, October 12, 2013

आने वाला तूफान 'फैलि‍न'


आने वाले तूफान 'फैलि‍न' के अंदेशे से 
हलकान हो रहा है दि‍ल मगर
कुछ नहीं होगा, खुद से ये कहती हूं

घबराई सी शाम में हवाओं को
तुम्‍हारे घर का पता देकर
राह के कंकड़ पलकों से चुनती हूं

घने अंधेरे और तेज हवाओं के बीच
कि‍सी गरीब की छत न उड़े
बार-बार उस रब से दुआ करती हूं

हर झंझवात और बेतरह दर्द के साए में
लि‍पटे अपने रि‍श्‍ते के दिये को
आंचल की ओट से ढकती हूं

मन का अंधि‍यारा घना होने पर
तुम्‍हारी आवाज के रेशे चुन
सांसों की डोर से ख्‍़वाबों के घोसलें बुनती हूं....


तस्‍वीर--साभार गूगल 

6 comments:

Neeraj Neer said...

बहुत सार्थक एवं सुंदर

Onkar said...

वाह, बहुत सुन्दर

Yashwant R. B. Mathur said...

तूफान हमारे जीवन का ही हिस्सा हैं।

आपको सपरिवार विजय दशमी की हार्दिक शुभ कामनाएँ।

सादर

राजीव कुमार झा said...

बहुत सुन्दर .
नई पोस्ट : रावण जलता नहीं
विजयादशमी की शुभकामनाएँ .

राजीव कुमार झा said...

बहुत सुन्दर .
नई पोस्ट : रावण जलता नहीं
विजयादशमी की शुभकामनाएँ .

वसुन्धरा पाण्डेय said...

बहुत सुन्दर !