Monday, September 9, 2013

अब लौट ही जाओ तुम....


प्‍यार के परि‍दें ने
भर ली
बहुत उंची उड़ान
नम हवाओं के झोंके से
गीले हो गए उसके पांख
देखो
धरती पर आ गि‍रा वह
मगर नि‍कले नहीं हैं
अब तक उसके प्राण
आओ
छिड़क दो जरा नमक
उसके जख्‍मों पर
दो सजा उसे
उसके मुक्‍त उड़ान की
कुचल डालो आत्‍मविश्‍वास
कि
अपनी पंखों पर इतना
क्‍यों था उसे गुमान
कि‍या था क्‍यों
अपने प्‍यार पर इतना अभि‍मान

अब तड़प रहा है परिंदा
अपनी आंखों से देख
नि‍ष्‍कलुष प्‍यार की उड़ान पर
उठते इतने सवाल
सनो...
अब लौट ही जाओ तुम
अपने अरण्‍य में
मैं भी चल दूं कि‍स्‍मत के तय
नि‍ष्‍कटंक राहों पर
मगर चलो पहले
मुट़ठी में भर लें हम और नमक
डाल दें
उस तड़फड़ाते परि‍दें के जख्‍मों पर
और
मानकर मृत दफ़ना दे
यहीं कि‍सी नीले गुलमोहर के तले
सुनो......
अब लौट ही जाओ तुम...लौट जाओ

तस्‍वीर--साभार गूगल 

8 comments:

  1. सुन्दर और भावपूरित रचना

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  2. बहुत सुंदर दिल को छू लेनेवाली रचना....
    साभार.....

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  3. मन को छू लेने वाली अभिव्यक्ति....
    बहुत सुंदर....साभार....

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  4. सुन्दर रचचना ... आपको बधाई

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  5. बहुत सुंदर भाव लिए अभिव्यक्ति .....
    नई पोस्ट “ हर संडे....., डॉ.सिन्हा के संग !"

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  6. हृदयस्पर्शी भावपूर्ण रचना
    latest post: यादें

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  7. दिल को छू लेनेवाली .अभिव्यक्ति ...

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