Saturday, September 7, 2013

शब्‍द और भाव............


एक शब्‍द, एक भाव
बदल देता है
बातों के...रि‍श्‍तों के मायने

एक स्‍वीकारोक्‍ति
पल भर में
तय कर लेती है
अर्श से फर्श
या फर्श से अर्श
का सफ़र

आंखों में बसाकर
आंसू की तरह गि‍रा देना
कोई नई बात तो नहीं.....


* * * * * * * * * *

क्‍या तुम्‍हें मालूम है
इन तरसती आंखों का ठि‍काना
बावस्‍ता हो तुम भी
मुकर जाओ तो कोई और बात है.....


* * * * * * * * * *
बस एक हमें नहीं इजाज़त
कि भर आऊँ तुम्हें अपनी आँख में
करते-करते तुम्हारा इंतजार 
कहीं एक दिन मिल न जाउँ खाक में

तस्‍वीर--एक खूबसूरत शाम की

12 comments:

  1. बहुत सुन्दर प्रस्तुति.. आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी पोस्ट हिंदी ब्लॉग समूह में सामिल की गयी और आप की इस प्रविष्टि की चर्चा कल - रविवार-8/09/2013 को
    समाज सुधार कैसे हो? ..... - हिंदी ब्लॉग समूह चर्चा-अंकः14 पर लिंक की गयी है , ताकि अधिक से अधिक लोग आपकी रचना पढ़ सकें . कृपया आप भी पधारें, सादर .... Darshan jangra





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  2. एक शब्‍द, एक भाव
    बदल देता है
    बातों के...रि‍श्‍तों के मायने,,,

    बहुत सुंदर अभिव्यक्ति,,,
    RECENT POST : समझ में आया बापू .

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  3. बहुत ही सुन्दर प्रस्तुती।

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