एक शब्द, एक भाव
बदल देता है
बातों के...रिश्तों के मायने
एक स्वीकारोक्ति
पल भर में
तय कर लेती है
अर्श से फर्श
या फर्श से अर्श
का सफ़र
आंखों में बसाकर
आंसू की तरह गिरा देना
कोई नई बात तो नहीं.....
* * * * * * * * * *
क्या तुम्हें मालूम है
इन तरसती आंखों का ठिकाना
बावस्ता हो तुम भी
मुकर जाओ तो कोई और बात है.....
* * * * * * * * * *
बस एक हमें नहीं इजाज़त
कि भर आऊँ तुम्हें अपनी आँख में
करते-करते तुम्हारा इंतजार
कहीं एक दिन मिल न जाउँ खाक में
तस्वीर--एक खूबसूरत शाम की
बस एक हमें नहीं इजाज़त
कि भर आऊँ तुम्हें अपनी आँख में
करते-करते तुम्हारा इंतजार
कहीं एक दिन मिल न जाउँ खाक में
तस्वीर--एक खूबसूरत शाम की
12 comments:
क्या बात है!!
बहुत सुन्दर प्रस्तुति.. आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी पोस्ट हिंदी ब्लॉग समूह में सामिल की गयी और आप की इस प्रविष्टि की चर्चा कल - रविवार-8/09/2013 को
समाज सुधार कैसे हो? ..... - हिंदी ब्लॉग समूह चर्चा-अंकः14 पर लिंक की गयी है , ताकि अधिक से अधिक लोग आपकी रचना पढ़ सकें . कृपया आप भी पधारें, सादर .... Darshan jangra
एक शब्द, एक भाव
बदल देता है
बातों के...रिश्तों के मायने,,,
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति,,,
RECENT POST : समझ में आया बापू .
bahut sundar!!!
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुती।
sunder
पता लगाये किसने आपकी पोस्ट को चोरी किया है
बढ़िया कविता
Bahot khoobsurat rachana.
सुंदर !
बहुत सुंदर
बहूत खूब
सुन्दर रचना..
Post a Comment