Thursday, September 19, 2013

एक बूंद का दामन.....


बूंदों को तुम सहेजो
मि‍लो नदी में...
बन जाओ समुद़ की उ़दात लहरें
मैं दे दूंगी तुमको
संचित एक बूंद जीवन की
और बन जाउंगी
सूखा रेगि‍स्‍तान
कि‍( जब
हममें कोई मेल नहीं
क्‍यों पकड़ें एक बूंद का दामन.......


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कि‍स बात पे हैरां हो तुम
कि‍स बात पे है ये खामोशी
मतलब पड़ने पर ही दुनि‍यां
 कि‍या करती है कदमब़ोसी 

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