रूप का तिलिस्म जब अरूप का सामना करे, तो बेचैनियां बढ़ जाती हैं...
Sunday, August 4, 2013
बरसो न तुम भी ....
बरस रहा है झमाझम पानी बूंदों सी बरस जाओ न तुम भी अपना सारा प्रेम समेटे
बादलों की गड़गड़ाहट में छुप न जाए अस्फुट सा प्रेम-निवेदन बरसो न तुम भीजैसे बरस रहा है शाम से मूसलाधार पानी.... तस्वीर--बारिश के दौरान कार के अंदर से ली गई तस्वीर
आप ने लिखा... हमने पढ़ा... और भी पढ़ें... इस लिये आप की ये खूबसूरत रचना शुकरवार यानी 09-08-2013 की http://www.nayi-purani-halchal.blogspot.com पर लिंक की जा रही है... आप भी इस हलचल में शामिल होकर इस हलचल में शामिल रचनाओं पर भी अपनी टिप्पणी दें... और आप के अनुमोल सुझावों का स्वागत है...
12 comments:
सुंदर चित्र के साथ सुंदर रचना.
रामराम.
बहुत सुन्दर
और फोटो भी अच्छी लगी
साभार !
बादलों की गड़गड़ाहट में
छुप न जाए
अस्फुट सा प्रेम-निवेदन
बरसो न तुम भीजैसे बरस रहा है
very nice
ये तो धरती आसमान का मिलन था...रचना में भींग गयी रश्मि और हमें भी भिनगा दिया ... :)
Shukriya
भावो को खुबसूरत शब्द दिए है अपने.....
बहुत ही सुन्दर और सार्थक प्रस्तुती,आभार।
आप ने लिखा... हमने पढ़ा... और भी पढ़ें... इस लिये आप की ये खूबसूरत रचना शुकरवार यानी 09-08-2013 की http://www.nayi-purani-halchal.blogspot.com पर लिंक की जा रही है... आप भी इस हलचल में शामिल होकर इस हलचल में शामिल रचनाओं पर भी अपनी टिप्पणी दें...
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कुलदीप ठाकुर [मन का मंथन]
आपके ब्लॉग को ब्लॉग एग्रीगेटर "ब्लॉग - चिठ्ठा" में शामिल किया गया है। सादर …. आभार।।
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बढिया, बहुत सुंदर रचना
सुन्दर चित्र, सुन्दर रचना
बारिश के बुँदे और प्रेम ,सुन्दर उपमा
latest post नेताजी सुनिए !!!
latest post: भ्रष्टाचार और अपराध पोषित भारत!!
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