मैं रीत गई, हो गई खाली.....
भरे-भरे थे तुम
और मैं एकदम खाली
जैसे रेतघड़ी हों हम
तुम्हें भरकर
मैं रीत गई, हो गई खाली
अब मैं इंतजार में हूं
वक्त के पलटने का
जब तुम रीतने लगोगे
और मैं भरती जाउंगी
काश..हमें रोकना आता
उस दम वक्त को
जब तुम और मैं
आधे-आधे भरे से होते
आधे-आधे खाली
साझा सुख-दुख साथ लिए......
तस्वीर--साभार गूगल
13 comments:
बहुत सुन्दर प्रस्तुति.. हिंदी ब्लॉग समूह के शुभारंभ पर आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी पोस्ट को हिंदी ब्लॉग समूह में सामिल किया गया है और आप की इस प्रविष्टि की चर्चा {सोमवार} (19-08-2013) को हिंदी ब्लॉग समूह
पर की जाएगी, ताकि अधिक से अधिक लोग आपकी रचना पढ़ सकें . कृपया पधारें, सादर .... Darshan jangra
बहुत सुन्दर प्रस्तुति.. हिंदी ब्लॉग समूह के शुभारंभ पर आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी पोस्ट को हिंदी ब्लॉग समूह में सामिल किया गया है और आप की इस प्रविष्टि की चर्चा {सोमवार} (19-08-2013) को हिंदी ब्लॉग समूह
पर की जाएगी, ताकि अधिक से अधिक लोग आपकी रचना पढ़ सकें . कृपया पधारें, सादर .... Darshan jangra
बहुत सुन्दर प्रस्तुति.. हिंदी ब्लॉग समूह के शुभारंभ पर आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी पोस्ट को हिंदी ब्लॉग समूह में सामिल किया गया है और आप की इस प्रविष्टि की चर्चा {सोमवार} (19-08-2013) को हिंदी ब्लॉग समूह
पर की जाएगी, ताकि अधिक से अधिक लोग आपकी रचना पढ़ सकें . कृपया पधारें, सादर .... Darshan jangra
बहुत ही सुंदर रचना.
रामराम.
हर पल का सुख-दुःख आधा आधा बँट जाए तो कितना बढ़िया
बहुत सुन्दर रचना
भावो को संजोये रचना.....
आपकी यह उत्कृष्ट प्रस्तुति आज रविवार (18-08-2013) को "ब्लॉग प्रसारण- 89" पर लिंक की गयी है,कृपया पधारे.वहाँ आपका स्वागत है.
सुन्दर....
रेतघड़ी का सुंदर बिम्ब ....
सुन्दर अभिव्यक्ति ...
khubsurat sa bhai... sangeeta di ne sahi kaha ek dum naya bimb :)
बहुत सुंदर रूपक रश्मि जी ! बहुत मासूम सी अभिलाषा ! बहुत ही खूबसूरत भावपूर्ण रचना !
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