लिखी जा रही थी
जब मेरी किस्मत में
खुशियों से भरे
चांद सितारे
बेपनाह प्यार और
दुनिया भर की सारी नेमतें
शायद तब
मेरी आंखों में नींद भरी थी
जब आई लिखने की बारी
दर्द, तन्हाई, बेरूखी
और आंसुओं का समंदर
मैं किस्मत देने वाले के आगे
खड़ी थी
अपनी झोली फैलाए
जान गई हूं अब
ये सुख-दुख, आंसू-खुशी
हम अपने हिस्से में
लिखवा कर लाते हैं
तदबीर से तकदीर बदल जाए
ऐसे खुशनसीब सब नहीं होते....
तस्वीर...साभार गूगल
वाह ..वाकई सच में
ReplyDeleteजान गई हूं अब
ReplyDeleteये सुख-दुख, आंसू-खुशी
हम अपने हिस्से में
लिखवा कर लाते हैं
तदबीर से तकदीर बदल जाए
ऐसे खुशनसीब सब नहीं होते....
बेहद सटीक अभिव्यक्ति, शुभकामनाएं.
रामराम.
:-(
ReplyDeleteसच!!!!
अनु
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति, आपकी लेखनी को बहुत बहुत बधाई , यहाँ भी पधारे
ReplyDeleteरिश्तों का खोखलापन
http://shoryamalik.blogspot.in/2013/07/blog-post_8.html
ReplyDeleteRECENT POST: गुजारिश,
बेहद सुन्दर प्रस्तुतीकरण ....!
ReplyDeleteआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि की चर्चा कल बुधवार (10-07-2013) के .. !! निकलना होगा विजेता बनकर ......रिश्तो के मकडजाल से ....!१३०२ ,बुधवारीय चर्चा मंच अंक-१३०२ पर भी होगी!
सादर...!
शशि पुरवार
BEAUTIFUL CREATION
ReplyDeleteजो मिला, सभी वह सिर धर कर स्वीकार करो ,
ReplyDeleteहो जाय शेष जो अपना लेना-देना है !
शुभ प्रभात
ReplyDeleteसच में
ऐसे खुशनसीब सब नहीं होते....
सादर
शुभकामनायें आदरेया-
ReplyDeleteउम्दा प्रस्तुति-
sach kaha apne.....sundar rachna
ReplyDeleteबहुत सुंदर , ऐसे ही होता होगा शायद
ReplyDeleteतदबीर से तकदीर बदल जाए
ReplyDeleteऐसे खुशनसीब सब नहीं होते....
....सच तो है लेकिन हमेशा एक सा दिन रह रहता जीवन में...
waah... bohat sundar abhivyakti
ReplyDeleteकोमल भावो की और मर्मस्पर्शी.. अभिवयक्ति ....
ReplyDeleteजब आई लिखने की बारी
ReplyDeleteदर्द, तन्हाई, बेरूखी
और आंसुओं का समंदर
मैं किस्मत देने वाले के आगे
खड़ी थी
अपनी झोली फैलाए
ati sundar bhav ke sath ati sundar rachana ....badhai
बहुत सुंदर, क्या बात
ReplyDeleteकांग्रेस के एक मुख्यमंत्री असली चेहरा : पढिए रोजनामचा
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