Tuesday, July 9, 2013

ऐसे खुशनसीब सब नहीं होते....


लि‍खी जा रही थी
जब मेरी कि‍स्‍मत में
खुशि‍यों से भरे
चांद सि‍तारे
बेपनाह प्‍यार और
दुनि‍या भर की सारी नेमतें
शायद तब
मेरी आंखों में नींद भरी थी

जब आई लि‍खने की बारी
दर्द, तन्‍हाई, बेरूखी
और आंसुओं का समंदर
मैं कि‍स्‍मत देने वाले के आगे
खड़ी थी
अपनी झोली फैलाए

जान गई हूं अब
ये सुख-दुख, आंसू-खुशी
हम अपने हि‍स्‍से में
लि‍खवा कर लाते हैं
तदबीर से तकदीर बदल जाए
ऐसे खुशनसीब सब नहीं होते....


तस्‍वीर...साभार गूगल 

18 comments:

  1. जान गई हूं अब
    ये सुख-दुख, आंसू-खुशी
    हम अपने हि‍स्‍से में
    लि‍खवा कर लाते हैं
    तदबीर से तकदीर बदल जाए
    ऐसे खुशनसीब सब नहीं होते....

    बेहद सटीक अभिव्यक्ति, शुभकामनाएं.

    रामराम.

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  2. बहुत सुन्दर प्रस्तुति!

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  3. बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति, आपकी लेखनी को बहुत बहुत बधाई , यहाँ भी पधारे
    रिश्तों का खोखलापन
    http://shoryamalik.blogspot.in/2013/07/blog-post_8.html

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  4. बेहद सुन्दर प्रस्तुतीकरण ....!
    आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि की चर्चा कल बुधवार (10-07-2013) के .. !! निकलना होगा विजेता बनकर ......रिश्तो के मकडजाल से ....!१३०२ ,बुधवारीय चर्चा मंच अंक-१३०२ पर भी होगी!
    सादर...!
    शशि पुरवार

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  5. जो मिला, सभी वह सिर धर कर स्वीकार करो ,
    हो जाय शेष जो अपना लेना-देना है !

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  6. शुभ प्रभात
    सच में
    ऐसे खुशनसीब सब नहीं होते....

    सादर

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  7. शुभकामनायें आदरेया-
    उम्दा प्रस्तुति-

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  8. बहुत सुंदर , ऐसे ही होता होगा शायद

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  9. तदबीर से तकदीर बदल जाए
    ऐसे खुशनसीब सब नहीं होते....
    ....सच तो है लेकिन हमेशा एक सा दिन रह रहता जीवन में...

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  10. कोमल भावो की और मर्मस्पर्शी.. अभिवयक्ति ....

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  11. जब आई लि‍खने की बारी
    दर्द, तन्‍हाई, बेरूखी
    और आंसुओं का समंदर
    मैं कि‍स्‍मत देने वाले के आगे
    खड़ी थी
    अपनी झोली फैलाए
    ati sundar bhav ke sath ati sundar rachana ....badhai

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  12. बहुत सुंदर, क्या बात


    कांग्रेस के एक मुख्यमंत्री असली चेहरा : पढिए रोजनामचा
    http://dailyreportsonline.blogspot.in/2013/07/like.html#comment-form

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