रूप का तिलिस्म जब अरूप का सामना करे, तो बेचैनियां बढ़ जाती हैं...
हंसी तुमसे, जिंदगी भी अब तुमसेअंतिम आस बन, सदा साथ रहनाबहुत सुंदर
जो बिगड़ा है, सब संवार लूंगीदर्द बनकर आंखों से न बहनाbahut bhavnatmak abhivyakti .
गहन भाव लिए सुन्दर रचना...:-)
बहुत ही सुंदर.रामराम.
नमस्कार आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा आज रविवार (28 -07-2013) के चर्चा मंच -1320 पर लिंक की गई है कृपया पधारें. सूचनार्थ
बहुत सुंदर
बहुत खूब सुंदर रचना ,,,RECENT POST: तेरी याद आ गई ...
साथ रहने की गुजारिश है बस छोटी सी यही ख्वाहिश है ।
सुन्दर भावो को रचना में सजाया है आपने.....
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हंसी तुमसे, जिंदगी भी अब तुमसे
ReplyDeleteअंतिम आस बन, सदा साथ रहना
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जो बिगड़ा है, सब संवार लूंगी
ReplyDeleteदर्द बनकर आंखों से न बहना
bahut bhavnatmak abhivyakti .
गहन भाव लिए सुन्दर रचना...
ReplyDelete:-)
बहुत ही सुंदर.
ReplyDeleteरामराम.
नमस्कार आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा आज रविवार (28 -07-2013) के चर्चा मंच -1320 पर लिंक की गई है कृपया पधारें. सूचनार्थ
ReplyDeleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteबहुत खूब सुंदर रचना ,,,
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बहुत खूब सुंदर रचना ,,,
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साथ रहने की गुजारिश है
ReplyDeleteबस छोटी सी यही ख्वाहिश है ।
सुन्दर भावो को रचना में सजाया है आपने.....
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