Friday, July 26, 2013

वो गली बहुत याद आती है.....



सड़क से बायीं ओर उतरकर
वो गली
जो मेरे गांव वाले घर तक
जाती है, 
इन दि‍नों बहुत याद आती है

था कच्‍ची मि‍ट़टी का आंगन
कोने में मीठे पानी का कुआं
ठीक बीच आंगन में
तुलसी का चौरा
जहां हर सुबह दादी नहाकर
भीगे बालों से जल अर्पण करती थी

आंगन के ठीक पीछे
एक छोटी सी बगि‍या
जहां नीम, अनार, पपीते फलते
बैंगन, र्मि‍ची, मूली भी मुस्‍काते थे
मगर आंगन में खि‍ले
खूब सारे महमहाते बेली की कलि‍यों से
हार मान जाते थे

गेंदें और जवाकुसुम के फूल
अमरूद के पेड़, मेंहदी के हरे पौधे
सफेद चांदनी के फूलों संग मि‍लकर
घर की शोभा बढ़ाते थे
गर्मियों में टपककर
आंगन में गि‍रते आम की
आवाज सुन
हम खूब ललचाते थे

खपरैल छप्‍पर से चूता था
हर बरसात में टप-टप पानी
आंगन में हम खूब
कागज के नाव चलाते थे
जिंदगी के हर रंग को
जी भरकर जीते और
खुशि‍यों संग रास रचाते थे

नहीं भूलती कभी
मि‍ट़टी के चूल्‍हे पर
घूंघट काढ़कर खाना बनाती मां का
आग की आंच से
दप-दप करता चेहरा
कच्‍चे आंगन पर
पानी के छींटे दे-दे कर बुहारना
और आसन बि‍छा पूरे घर के लोगों का
एक पांत में खाना खाना

अब तो बस यादें ही रह गईं बाकी
गली के मुहाने पर नीला जेकरेंदा का पेड़
झूमता है अब भी हवा आने पर
उस आंगन और बचपन की
याद दि‍लाने को है बचा है
एक टूटा कुंआ और नीम का बूढ़ा पेड़

कैसे बि‍सरा दूं सब कुछ
यादें ही है पास अब
वो गली जो मेरे गांव वाले घर तक
जाती थी,
इन दि‍नों बहुत याद आती है..बहुत याद आती है....



तस्‍वीर--मेरे गांव वाले घर जाने के रास्‍ते और उजड़ चुके कुएं की....

12 comments:

  1. कैसे बि‍सरा दूं सब कुछ
    यादें ही है पास अब
    वो गली जो मेरे गांव वाले घर तक
    जाती थी,
    इन दि‍नों बहुत याद आती है..बहुत याद आती है....

    जहां बचपन बीता हो, वहां की यादें कैसे कोई भुल सकता है, यादों को बहुत ही सुंदरता से बयाँ किया.

    रामराम.

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  2. वाह बहुत सुंदर चित्रण,अपने गाँव की याद आ गयी, शुभकामनाये

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  3. एक बुझती याद ...
    मर्मस्पर्शी ...

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  4. सुन्दर अभिव्यक्ति...

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  5. कल 18/09/2013 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
    धन्यवाद!

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  6. कल 18/09/2013 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
    धन्यवाद!

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  7. बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति...

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  8. बचपन की सुन्दर स्मृतियाँ ,याद आती हैं तो मन हूक हूक कर उठता है.यादों का सुन्दर मर्मस्पर्शी लेखाजोखा बधाई

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  9. बचपन की सुन्दर स्मृतियाँ ,याद आती हैं तो मन हूक हूक कर उठता है.यादों का सुन्दर मर्मस्पर्शी लेखाजोखा बधाई

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