Tuesday, July 2, 2013

यादों के नि‍शां....


नीला आस्‍मां....जाते-जाते सूरज ने बि‍खेर दी है लालि‍मा....अंधेरे चुप कदमों से पेड़ों के साए में हौले से अपने कदम बढ़ा रहे और तम हरने की नाकाम कोशि‍श करता खम्‍भे पर लगा ..पीली रोशनी बि‍खेरता बल्‍ब.......

क्‍या ऐसे समां में भी तुम्‍हें याद आना चाहि‍ए....या कह दूं ये कि

ढलती शाम हो या
उतरता अंधेरा
तेरी यादों के नि‍शा
बड़े सुनहरे हैं

हर सांझ गुदगुदा जाती है
तेरे शहर से
आती हवा
और
मुस्‍कराहट पे कहती हैं
ये राज बड़े गहरे हैं.....



(अभी-अभी ली है तस्‍वीर...मेरी बाल्‍कनी से)

11 comments:

  1. बहुत सुंदर,
    सार्थक प्रस्तुति


    जल समाधि दे दो ऐसे मुख्यमंत्री को
    http://tvstationlive.blogspot.in/2013/07/blog-post_1.html?showComment=1372774138029#c7426725659784374865

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  2. खुबसूरत अभिवयक्ति......

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  3. प्रेम का कोमल अहसास
    मन को छूती हुई सुंदर अनुभूति
    बेहतरीन रचना
    सादर

    जीवन बचा हुआ है अभी---------

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  4. तस्वीर और अभिव्यक्ति दोनों सुंदर ..
    बधाई आपकी कलम के लिए !

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  5. सुंदर शब्द और मोहक तस्वीर...

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  6. मनभावन चित्र

    सुन्दर प्रस्तुति-

    आपका आभार-

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  7. वाह.सुन्दर प्रभावशाली ,भावपूर्ण ,बहुत बहुत बधाई...

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  8. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 04/07/2013 के चर्चा मंच पर है
    कृपया पधारें
    धन्यवाद

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  9. बहुत सुंदर अभिव्यक्ति, शुभकामनाये

    यहाँ भी पधारे

    http://shoryamalik.blogspot.in/2013/07/blog-post_3.html

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  10. गज़ब का चित्र और लाजवाब अभिव्यक्ति ..

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