नीला आस्मां....जाते-जाते सूरज ने बिखेर दी है लालिमा....अंधेरे चुप कदमों से पेड़ों के साए में हौले से अपने कदम बढ़ा रहे और तम हरने की नाकाम कोशिश करता खम्भे पर लगा ..पीली रोशनी बिखेरता बल्ब.......
क्या ऐसे समां में भी तुम्हें याद आना चाहिए....या कह दूं ये कि
ढलती शाम हो या
उतरता अंधेरा
तेरी यादों के निशा
बड़े सुनहरे हैं
हर सांझ गुदगुदा जाती है
तेरे शहर से
आती हवा
और
मुस्कराहट पे कहती हैं
ये राज बड़े गहरे हैं.....
(अभी-अभी ली है तस्वीर...मेरी बाल्कनी से)
बहुत सुंदर,
ReplyDeleteसार्थक प्रस्तुति
जल समाधि दे दो ऐसे मुख्यमंत्री को
http://tvstationlive.blogspot.in/2013/07/blog-post_1.html?showComment=1372774138029#c7426725659784374865
सुंदर सृजन,बहुत उम्दा प्रस्तुति,,,
ReplyDeleteRECENT POST: जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनायें.
खुबसूरत अभिवयक्ति......
ReplyDeleteप्रेम का कोमल अहसास
ReplyDeleteमन को छूती हुई सुंदर अनुभूति
बेहतरीन रचना
सादर
जीवन बचा हुआ है अभी---------
तस्वीर और अभिव्यक्ति दोनों सुंदर ..
ReplyDeleteबधाई आपकी कलम के लिए !
सुंदर शब्द और मोहक तस्वीर...
ReplyDeleteमनभावन चित्र
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति-
आपका आभार-
वाह.सुन्दर प्रभावशाली ,भावपूर्ण ,बहुत बहुत बधाई...
ReplyDeleteआपकी इस प्रस्तुति का लिंक 04/07/2013 के चर्चा मंच पर है
ReplyDeleteकृपया पधारें
धन्यवाद
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति, शुभकामनाये
ReplyDeleteयहाँ भी पधारे
http://shoryamalik.blogspot.in/2013/07/blog-post_3.html
गज़ब का चित्र और लाजवाब अभिव्यक्ति ..
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