चाँद के पहलू में वो सितारा हसीन लगता है !!
हमें तो कुछ आप जैसा वो ज़हीन लगता है !!
चाँद की तबियत भी कुछ रंगीन सी है !
बादलों संग कितना नमकीन लगता है !!
हाथ थाम के चांद जब चलता है चांदनी का !
दिलजलों को ये मसला बेहद संगीन लगता है!!
सपनों के नीले आस्मां पर जब रोशन चांद हुआ !
तेरे हिज्र की ताब से माहौल गमगीन लगता है !!
तसव्वुर में जब भी देखती हूं वो चांद चेहरा 'रश्मि’!
गुजरे वक्त का हर जख्म ताजा-तरीन लगता है !!
तस्वीर--साभार गूगल
kya bat hai ,gazab hai andaz
ReplyDeleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteक्या बात
जबरदस्त!!
ReplyDelete:-)
ReplyDeleteवाह!!!बहुत सुंदर सृजन,उम्दा गजल ,,,
ReplyDeleteRECENT POST: जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनायें.
चाँद की तबियत भी कुछ रंगीन सी है !
ReplyDeleteबादलों संग कितना नमकीन लगता है !!
हाथ थाम के चांद जब चलता है चांदनी का !
दिलजलों को ये मसला बेहद संगीन लगता है!!
बहुत खूब क्या कुछ कह दिया आपने बहुत ही सुन्दर
चाँद की तबियत भी कुछ रंगीन सी है !
ReplyDeleteबादलों संग कितना नमकीन लगता है !!
हाथ थाम के चांद जब चलता है चांदनी का !
दिलजलों को ये मसला बेहद संगीन लगता है!!
बहुत खूब क्या कुछ कह दिया आपने बहुत ही सुन्दर
ReplyDeleteचाँद की तबियत भी कुछ रंगीन सी है !
बादलों संग कितना नमकीन लगता है !!
वाह गज़ब !!!
बहुत खुबसूरत रचना ...
ReplyDeleteबहुत खूब...
ReplyDeleteतसव्वुर में जब भी देखती हूं वो चांद चेहरा 'रश्मि’!
ReplyDeleteगुजरे वक्त का हर जख्म ताजा-तरीन लगता है ..
बहुत खूब ... लाजवाब शेर है इस गज़ल का ... गुज़रा समय ताज़ा ही रहता है ...
तसव्वुर में जब भी देखती हूं वो चांद चेहरा 'रश्मि’!
ReplyDeleteगुजरे वक्त का हर जख्म ताजा-तरीन लगता है ..
खुबसूरत रचना ,बहुत सुन्दर भाव भरे है रचना में,आभार !