इस कदर भी ना चाहो तुम, कि हमें खुद पे गुमां हो जाएं ।
खुशियां भरते रहो मेरे दामन में, हम कद से आस्मां हो जाएं ।।
फूल नहीं, कांटे भी मेरी राहों के तुम पलकों से उठाते हो ।...
खुशियां भरते रहो मेरे दामन में, हम कद से आस्मां हो जाएं ।।
फूल नहीं, कांटे भी मेरी राहों के तुम पलकों से उठाते हो ।...
महफ़ूज हर शै पा हम, कहीं तुमसे ही न बदगुमां हो जाएं ।।
अलफ़ाज़ पे मेरे न जाओ, दिल जो कहता है वो समझो।
बनाकर सांस रखो सीने में, हम तेरी आदतों में शुमार हो जाएँ ।।
ज़माने की साजिशों से घबरा, जब हो बेबस तुम्हें पुकारने लगे 'रश्मि'।
सुनकर सदा चले आना, ऐसा न हो इंतजार में ही हम फनां हो जाएं।।
अलफ़ाज़ पे मेरे न जाओ, दिल जो कहता है वो समझो।
बनाकर सांस रखो सीने में, हम तेरी आदतों में शुमार हो जाएँ ।।
ज़माने की साजिशों से घबरा, जब हो बेबस तुम्हें पुकारने लगे 'रश्मि'।
सुनकर सदा चले आना, ऐसा न हो इंतजार में ही हम फनां हो जाएं।।
तस्वीर--सूर्य मंदिर के पीछे मेरे हाथों में सफेद फूल...
बहुत सुंदर
ReplyDeleteअलफ़ाज़ पे मेरे न जाओ, दिल जो कहता है वो समझो।
ReplyDeleteबनाकर सांस रखो सीने में, हम तेरी आदतों में शुमार हो जाएँ ।।
वाह, लाजवाब रचना.
रामराम.
बेहद सुन्दर प्रस्तुतीकरण ....!!
ReplyDeleteआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल बुधवार (17-07-2013) को में” उफ़ ये बारिश और पुरसूकून जिंदगी ..........बुधवारीय चर्चा १३७५ !! चर्चा मंच पर भी होगी!
सादर...!
शशि पुरवार
वाह जी
ReplyDeleteबल्ले बल्ले
बनाकर सांस रखो सीने में, हम तेरी आदतों में शुमार हो जाएँ
ReplyDeleteबहुत अच्छे भावों से लिखी गयी रचना
ज़माने की साजिशों से घबरा, जब हो बेबस तुम्हें पुकारने लगे 'रश्मि'।
ReplyDeleteसुनकर सदा चले आना, ऐसा न हो इंतजार में ही हम फनां हो जाएं।।
डैश बोर्ड पर पाता हूँ आपकी रचना, अनुशरण कर ब्लॉग को
अनुशरण कर मेरे ब्लॉग को अनुभव करे मेरी अनुभूति को
latest post सुख -दुःख
बहुत ही सुन्दर रचना...
ReplyDelete:-)
बहुत उम्दा,सुंदर सृजन,,,वाह !!! क्या बात है
ReplyDeleteRECENT POST : अभी भी आशा है,
बहुत खूब वाह !
ReplyDeleteBEHATARIN
ReplyDeleteबहुत सुंदर, शुभकामनाये
ReplyDeleteयहाँ भी पधारे
दिल चाहता है
http://shoryamalik.blogspot.in/2013/07/blog-post_971.html
हमे भी आपकी आदत पड़ती जा रही है ...बहुत सुन्दर...!!
ReplyDeletewaah bahut khub
ReplyDeleteमोहब्बत में ऐसा गुमां भी एक अजीब सुख देता है ।
ReplyDeleteमाशा अल्लाह बहुत अच्छा लिखा है मर्बेह्वा .
ReplyDeleteअलफ़ाज़ पे मेरे न जाओ, दिल जो कहता है वो समझो।
ReplyDeleteबनाकर सांस रखो सीने में, हम तेरी आदतों में शुमार हो जाएँ ...
बहुत ही लाजवाब शेर है ... एहसास को छूता है ...
बहुत ही गहरे भावो की अभिवयक्ति......
ReplyDeleteबहुत सुंदर, शुभकामनाये
ReplyDeleteयहाँ भी पधारे
http://saxenamadanmohan.blogspot.in/
फूल नहीं, कांटे भी मेरी राहों के तुम पलकों से उठाते हो ।...
ReplyDeleteमहफ़ूज हर शै पा हम, कहीं तुमसे ही न बदगुमां हो जाएं ।।
...बहुत खूबसूरत प्रस्तुति....
बहुत खूब |
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना
ReplyDeleteबहुत सुंदर अभिव्यक्ति .....!!
ReplyDeleteबहुत अच्छी रचना, बहुत सुंदर
ReplyDeletebahut khoob :)
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